अमेरिका में रैबिट फीवर के मामलों में लगातार बढ़ोतरी, इस बीमारी के मामलों में 50% से ज्यादा का उछाल देखा गया

वाशिंगटन
अमेरिका में रैबिट फीवर (Rabbit Fever) के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। सीडीसी के मुताबिक, पिछले एक दशक में इस बीमारी के मामलों में 50% से ज्यादा का उछाल देखा गया है। रैबिट फीवर, जिसे टुलारेमिया भी कहा जाता है, एक जूनोटिक बीमारी है जो खरगोशों और अन्य जानवरों से इंसानों में फैलती है। यह बीमारी गंभीर हो सकती है और बुखार, थकान और त्वचा पर घाव जैसे लक्षण पैदा कर सकती है। ऐसे में, आइए इस आर्टिकल में आपको बताते हैं रैबिट फीवर के कारण, लक्षण, और बचाव के तरीके।

रैबिट फीवर क्या होता है?
टुलारेमिया, जिसे आम भाषा में रैबिट फीवर कहा जाता है, एक गंभीर बैक्टीरियल इन्फेक्शन है जो फ्रांसीसेल्ला टुलारेन्सिस बैक्टीरिया के कारण होता है। यह बैक्टीरिया मुख्य रूप से खरगोश, चूहे और अन्य छोटे स्तनधारियों में पाया जाता है। मनुष्य में यह संक्रमण संक्रमित जानवरों के सीधे संपर्क में आने, उनके काटने, संक्रमित मांस का सेवन करने या संक्रमित मिट्टी या पानी के संपर्क में आने से हो सकता है।

किन लोगों को है ज्यादा खतरा?
टुलारेमिया एक गंभीर संक्रमण हो सकता है जो हल्के लक्षणों से लेकर जानलेवा स्थिति तक ले जा सकता है। अगर इसका सही इलाज न किया जाए, तो रैबिट फीवर 60% मामलों में मौत की वजह बन सकता है। यह बीमारी आमतौर पर 5 से 9 साल के बच्चों, बुजुर्गों और आदिवासी समुदायों में देखी जाती है।

रैबिट फीवर के लक्षण
    बुखार: यह सबसे आम लक्षण है। बुखार अचानक और तीव्र रूप से बढ़ सकता है, जो 104°F (40°C) तक पहुंच सकता है।
    ठंड लगना: बुखार के साथ अक्सर ठंड लगना भी होता है।
    फ्लू जैसे लक्षण: थकान, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, भूख न लगना आदि लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं।
    सूजन वाले लिम्फ नोड्स: संक्रमण वाली जगह के पास लिम्फ नोड्स सूज जाते हैं और दर्दनाक हो सकते हैं।
    त्वचा के घाव: अगर संक्रमण त्वचा के जरिए होता है, तो घाव लाल, सूजा हुआ और दर्दनाक हो सकता है।
    गले में खराश: गले में खराश, सूजन और दर्द भी हो सकता है।
    आंखों की समस्याएं: आंखों में जलन, सूजन, और लालपन भी हो सकता है।
    सांस लेने में तकलीफ: गंभीर मामलों में, सांस लेने में कठिनाई हो सकती है।
    दस्त और उल्टी: कुछ मामलों में, दस्त और उल्टी भी हो सकती है।

रैबिट फीवर के कारण
रैबिट फीवर का कारण Francisella Tularensis नामक एक बैक्टीरिया है। यह बैक्टीरिया विभिन्न प्रकार के जानवरों, जैसे खरगोश, गिलहरी, चूहे, और टिक्स में पाया जाता है। संक्रमण आमतौर पर संक्रमित जानवर को काटने, संक्रमित जानवर के मांस को खाने, या संक्रमित जानवर के मल या मूत्र के संपर्क में आने से होता है।

रैबिट फीवर का इलाज
रैबिट फीवर का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं से किया जाता है। एंटीबायोटिक दवाओं का चुनाव संक्रमण की गंभीरता और रोगी की स्थिति पर निर्भर करता है।

रैबिट फीवर से बचाव
    संक्रमित जानवरों से संपर्क से बचें।
    जंगली जानवरों को न छुएं या न खिलाएं।
    खरगोशों या अन्य छोटे जानवरों को पालते समय सावधानी बरतें।
    मृत जानवरों को न छुएं।
    जंगल में जाते समय लंबे कपड़े और दस्ताने पहनें।
    कीटों से बचाव के लिए कीटनाशक का इस्तेमाल करें।
    संक्रमित क्षेत्रों में जाने से बचें।

रैबिट फीवर एक गंभीर बीमारी है, लेकिन इसका समय पर इलाज किया जाए तो इससे बचा जा सकता है। अगर आपको रैबिट फीवर के लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

India Edge News Desk

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